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Bio Fertilizers

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13 /04 /17

बायोफ़र्टिलाइज़र

बायोफ़र्टिलाइज़र (Bio Fertilizer) को जीवाणु खाद भी कहते है क्योंकी बायो फ़र्टिलाइज़र एक जीवित उर्वरक है, जिसमें सूक्ष्मजीव विद्यमान होते है| जो फसलों में बायो फ़र्टिलाइज़र इस्तेमाल करने से वायुमंडल में उपस्थित नाइट्रोजन पौधों को अमोनिया के रूप में आसानी से उपलब्ध होती है| और मिट्टी में पहले से उपस्थित अघुलनशील फास्फोरस व पोषक तत्व घुलनशील अवस्था में परिवर्तित होकर पौधों या फसल को आसानी से उपलब्ध होते है| क्योंकी जीवाणु प्राकृतिक है, इसलिए इनके प्रयोग से मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ती है, और जीवों के स्वस्थ्य और पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव नही पड़ता| बायो फ़र्टिलाइज़र रासायनिक उर्वरकों के पूरक है, विकल्प नही है|

Pseudomonas Fluorescens

ट्रायकोडर्मा विराइड एक इको-फ्रेंडली बायोलॉजिकल फंगसाइड है जिसमें माइकोप्रैरिटिक फंगी ट्रायकोडर्मा विराइड के स्पायर्स और कॉन्डिडिया शामिल हैं। यह जड़ो क़े वकाश क़े लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है ।

1 -2 किलोग्रा प्रति एकड़ उपयोग करना चाहिए ।

Rhizobium

राइजोबियम जीवाणु वातावरण की स्वतंत्र नाइट्रोजन को पौधों तक पहुंचाते हैं, लिहाजा दलहनी फसलों को अलग से नाइट्रोजन देने की जरूरत नहीं रहती है. जीवाणुओं के द्वारा यौगिकीकृत नाइट्रोजन कार्बनिक रूप में होने के कारण इस का क्षय कम होता है, जबकि नाइट्रोजन वाले उर्वरकों का एक बड़ा हिस्सा तमाम कारणों से इस्तेमाल नहीं हो पाता है. यह राइजोबियम जीवाणुओं द्वारा पौधों को मिल सकता है

  • इसका 1-2 किलोग्रा प्रति एकड़ उपयोग करना चाहिए ।

Azotobacter

एजोटोबैक्टर मृदा में पाया जाने वाला एक मृतजीवी जीवाणु है जो कि अदलहनी फसलों में नाइट्रोजन स्थिरीकरण में सहायक है| यह जीवाणु लम्बे व अंडाकार आकृति के होते है| इसका उपयोग मुख्यतः धान एवं गेंहूँ की फसलों में किया जाता है| इसके प्रयोग से मिट्टी में 30-40 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर स्थिर हो जाती है| एजोटोबैक्टर का प्रयोग मिट्टी के उपचार, रोपाई एवं बीजों के उपचार के लिए किया जाता है|

इसका 1-2 किलोग्रा प्रति एकड़ उपयोग करना चाहिए ।

Mix Culture

ये मिट्टी में पोषक तत्व की उपलब्धता को ठीक करने के साधन हैं।चूंकि एक बायो-उर्वरक तकनीकी रूप से जीवित है, इसलिए यह पौधों की जड़ों से सहानुभूतिपूर्वक जोड़ सकता है।

इसका 1-2 किलोग्रा प्रति एकड़ उपयोग करना चाहिए ।

Blue Green Algae

नील-हरित शैवाल तुरंत वाले प्रकाश संषलेषी सूक्ष्म जीव होते है, तो नाइट्रोजन के स्थितिकरण में सहायक हैं| नील-हरित शैवाल को “सायनोबैक्टरिया” भी कहा जाता है| सूक्ष्म जीव गुणात्मक रूप से जीवाणु वर्ग से अधिक विशिष्ठ होता है| इसलिए ये सायनोबैक्टरिया कहलाते हैं| सभी नील-हरित शैवाल नाइट्रोजन के स्थितिकरण में सहायक नहीं होते हैं| मिट्टी में पाई जाने वाली नील-हरित शैवाल प्रजातियाँ बड़े आकार की तथा संरचना में जटिल होती हैं|

इसका 1-2 किलोग्रा प्रति एकड़ उपयोग करना चाहिए ।